: दिनांक 24 दिसंबर, 1986 को देश में पहला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 बना था, परन्तु इस कानून के अंतर्गत उपभोक्ता को न्याय मिलने में काफी समय लगता था, जिसको देखते हुए उपभोक्ता संरक्षण कानून , 2019 ( Consumer Protection Act - 2019 ) के प्रावधान 20 जुलाई, 2020 से प्रभावी हो गये, सन 2019 के उपभोक्ता संरक्षण कानून ने 3 दशक पूराने उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 का स्थान लिया है । यह कानून उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण साबित होगा, यह उपभोक्ता से सम्बंधित विवाद ( Consumer dispute ) की निपटान प्रक्रिया को सरल बनाता है, और उत्पाद व दायित्व की अवधारणा की शुरुआत करता है।
उपभोक्ता संरक्षण कानून - 2019 [ Consumer Protection 2019 ] के अंतर्गत उपभोक्ता के अधिकारों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य -
कोई भी उपभोक्ता अपनी शिकायत ( Consumer Complaint ) उसी जिला कंज्यूमर फोरम में दर्ज करा सकता हैं, जहां वो रहता है, या जहां से वह व्यवसाय चलाता है, न कि जहां से कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस खरीदा था ।
Consumer Protection Act 2019 |
उदाहरण के लिए Example -
- आपने किसी कंपनी की सिम का रिचार्ज करवाया है, ओर वह रिचार्ज अवधि से पहले ही समाप्त हो गया हैं तब ऐसी स्थिति में आप कंपनी के खिलाफ सेवा में त्रुटि या कमी बताते हुए उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर सकते हैं।
- यदि कोई प्रेशर कुकर किसी निर्माण दोष के कारण फट जाता है, और उपभोक्ता को हानि पहुंचती है, तो प्रेशर कुकर निर्माता को उपभोक्ता को हुई क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए भी उत्तरदाई होगा ना कि केवल प्रेशर कुकर की कीमत की पूर्ति के लिए । पहले इस प्रकार की भरपाई के लिए सिविल कोर्ट में जाना पड़ता था, जिसमें केस का निपटारा होने में कई साल लगते थे, परन्तु अब वाद का निपटारा उपभोक्ता फोरम की सहायता से 6 माह या 1 साल में ही किया जा सकता हैं।
जिला उपभोक्ता फोरम में अधिक राशि वाले मामलों की हो सकेगी [ Hearing of cases ] सुनवाई -
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ( Consumer Act 2019 ) के अंतर्गत जिला उपभोक्ता फोरम में अब एक करोड रुपए तक के केस की सुनवाई होगी, जो पहले केवल बीस लाख रुपए ही थी , परन्तु अब कोई भी उपभोक्ता एक करोड़ रुपये तक के केस अपने ही जिले में रहकर लड़ सकते हैं ।
ऑनलाइन [ Online Shopping ] द्वारा किये गए कारोबार को उपभोक्ता कानून के दायरे में लाया गया -
ऐसे कई ऑनलाइन कारोबार ( Online Business ) के प्लेटफार्म जैसे - स्नैपडील , अमेज़ॉन , फ्लिपकार्ट , शॉपक्लूज आदि को न केवल विक्रेताओं की जानकारी बाकी स्वंय से सम्बंधित जानकारी जैसे उनके नाम पते , वेबसाइट , ईमेल आदि की जानकारी औऱ धनवापसी , गारण्टी - वारंटी , अनुबंध की शर्ते आदि से संबंधित जानकारी भी अपनी वेबसाइट पर डालनी होगी जिससे कि पारदर्शिता बनी रहे ।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण का गठन [ Constitution of Central Consumer Protection Authority ] -
Central Consumer Protection Authority (CCPA) |
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